प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा शारीरिक ही नही मानसिक और भावात्मक स्वस्थता भी प्राप्त होती है – साध्वी श्रीनिर्वाण श्रीजी

उधना – प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा शारीरिक ही नही मानसिक और भावात्मक स्वस्थता भी प्राप्त होती है यह विचार साध्वी श्री उधना में आयोजित अखिल भारतीय जैन एकता मंच द्वारा व् कंचन सेवा संस्थान उदयपुर के सहयोग से आयोजित त्रिदिवसीय निशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा शिविर में अपने संबोधन में कहे प्राकृतिक शिविर में 545 भाई बहन लाभान्वित हुए ! इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री निर्वाण श्रीजी ने अपने मंगल उदबोधन में कहा वर्तमान युग में एलोपेथी चिकित्सा बहुत महंगी हो गयी है ! इसके अतिरिक्त उस चिकित्सा से शरीर में अन्य व्याधिया भी फेलती है !जबकि आयुर्वेद व् प्राकृतिक चिकित्सा निर्दोष उपचार पद्धति है उसके द्वारा न केवल शारीरिक स्वस्थता की प्राप्ति होती है बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है ! साध्वी श्री ने 30 जुलाई से 31 जुलाई को आयोज्य उधना में प्रेक्षाध्यान शिविर में संभागी बनने की प्रेरणा भी दी ! कंचन सेवा संस्थान के मुख्य चिकित्सक डॉ छेलबिहारी शर्मा ने प्राकृतिक चिकित्सा की महता का प्रतिपादन करते हुए उसके लाभ की जानकारी दी ! अखिल भारतीय एकता मंच के रास्ट्रीय संयोजक श्री मांगीलाल जी मादरेचा ने जैन एकता मंच के विविध उदेश्यों के बारे में जानकारी प्रदान की ! संस्था के सूरत जिल्ला अध्यक्ष श्री बालचंद बेमाला ने समर्पित भाव से सेवा प्रदान करने वाले कार्यकर्ताओ श्री शम्भूलाल कर्नावट , श्री विनोद सामर , श्री बाबूलाल जी बाबेल आदि के श्रम की सराहना की ! संस्थान के सचिव श्री संतोष जी पारिक ने कार्यकर्ताओ को सन्मानित किया ! कार्यक्रम का संचालन संस्था के गुजरात प्रान्त के मुख्य संयोजक श्री अर्जुनलाल जी मेडतवाल ने किया !

बदलता बच्चो का परिवेश एक चिंतनीय

मित्रों, आज बहुत दिनों से बच्चो के बदलते परिवेश को देखते हुए मानस पटल पर एक पीड़ा व् चिंतन उभर रहा है ! विचारों का प्रवाह किसी भंवर की तरह फिर मंथन कर रहा है शायद सारी बातें लिखना इतना आसान ना होगा फिर भी कोशिश है कि सम्पूर्ण विचारों का एक अंश मात्र ही लिख सकूँ तो बेहतर होगा आज इसी विषय पर लिखने बैठा हूँ मेरा लेखन व् पीड़ा तभी सार्थक होगी जब आप स्वय इस विषय पर चिंतन करेंगे अब मुख्य विषय पर …………!!
मैं और आप उस पीढ़ी है ! जिसने की कुछ स्वतंत्रता प्राप्ति के चंद वर्षो बाद में अपनी आँखें खोली और जो इस देश के साथ बड़े होते गए आज युवा से बुजुर्ग की और अग्रसर हो रहे है। मगर बात है कि देश जवानी के दौर में है। मेरी व् आपकी पीढ़ी वो पीढ़ी हे जो चिमनी व् लालटेन से कंप्यूटर तक की यात्रा की है। हमारी पूर्व पीढ़ी ने युद्ध और शांति के अध्याय पढ़े हैं।और हमारी पीढ़ी ने भ्रष्ट नेताओ और राशन की पँक्तियों में खड़ी ग़रीबी देखी है और आज चमचमाते मॉलों में, विदेशी ब्रांड के लिए नौजवानों की पागल भीड़ देख रही है। मगर आज के युवा के इस बदलते परिवेश को जब हम देखते है तो एक अलग अनुभूति होती है ! हमारे भारतीय सस्कृति में सयुंक्त परिवार प्रथा का प्रचलन प्राचीन काल से होता आया है ! जिसमे समस्त परिवार ,मुखिया के संचालन में ही संचलित होता था। परिवार के समस्त सदस्यों के कार्यो का विभाजन मुखिया के सहमत से ही होता था! परिवार के सभी सदस्य बिना किसी भेदभाव के एक ही छत के नीचे एक ही सांझे चूल्हे पर परिवार के वयोवृद्ध मुखिया की छत्र छाया में जीवनयापन करते थे। परन्तु आज के परिद्रश्य में हम उन्नत एवं प्रगति व विकास की दुहाई दे कर हम रिश्तों की उस खुशनुमा जिन्दगी को खोते जा रहे है और हम उस प्रथा को छोड़ने को मजबूर है। सयुंक्त परिवार मे अपने से बड़े व वृद्ध का मान ,सम्मान तथा उनकी भावनाओ को पूर्ण रूप से सम्मान दिया जाता था परन्तु आज के विकसित एकल परिवार में उक्त का विघटन होता जा रहा है एक दूसरे के प्रति प्रेम और सौहार्द तथा भाईचारे की भावना समाप्त होती जा रही है !यह एक चिंतनीय विषय है आज यदि अपने आसपास नज़र डाली जाये, आसपास ही क्यों यदि अपने घरों में भी झांका जाये तो साफ़ पता चल जाता है कि बच्चे अब बहुत बदल रहे हैं । हां ये ठीक है कि जब समाज बदल रहा है, समय बदल रहा है तो ऐसे में स्वाभाविक ही है कि बच्चे और उनसे जुडा उनका मनोविज्ञान, उनका स्वभाव, उनका व्यवहार सब कुछ बदलेगा ही। मगर सबसे बडी चिंता की बात ये है कि ये बदलाव बहुत ही गंभीर रूप से खतरनाक और नकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर है। आज नगरों , महानगरों में न तो बच्चों मे वो बाल सुलभ मासूमियत दिखती है न ही उनके उम्र के अनुसार उनका व्यवहार। कभी कभी तो लगता है कि बच्चे अपनी उम्र से कई गुना अधिक या कहू हमसे ज्यादा परिपक्व हो गये हैं। ये इस बात का ईशारा है कि आने वाले समय में जो नस्लें हमें मिलने वाली हैं..उनमें वो गुण और दोष ,,स्वाभाविक रूप से मिलने वाले हैं , जिनसे आज का समाज खुद जूझ रहा है।बदलते परिवेश के कारण आज न सिर्फ़ बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से अव्यवस्थित हो रहे हैं बल्कि आश्चर्यजनक रूप से जिद्दी , हिंसक और कुंठित भी हो रहे हैं। जिसका नतीजा सामने है पिछले एक दशक में ही ऐसे अपराध जिनमें बच्चों की भागीदारी में बढोत्तरी हुई है। इनमें गौर करने लायक एक और तथ्य ये है कि ये प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा,शहरी क्षेत्र में अधिक रहा है। बच्चे न सिर्फ़ आपसी झगडे, घरों से पैसे चुराने, जैसे छोटे मोटे अपराधों मे लिप्त हो रहे हैं..बल्कि चिंताजनक रूप से नशे, जुए, गलत यौन आचरण,फ़ूहड और फ़ैशन की दिखावटी जिंदगी आदि जैसी आदतों में भी पडते जा रहे हैं। बच्चों मे आने वाले इस बदलाव का कोई एक ही कारण नही है। इनमें पहला कारण है बच्चों के खानपान में बदलाव। आज समाज जिस तेजी से फ़ास्ट फ़ूड या जंक फ़ूड की आदत को अपनाता जा रहा है उसके प्रभाव से बच्चे भी अछूते नहीं हैं। बच्चों के प्रिय खाद्य पदार्थों में आज जहां, चाकलेट, चाऊमीन, तमाम तरह के चिप्स, स्नैक्स, बर्गर, ब्रेड आदि न जाने में तो नाम व् स्वाद भी नही जानता शामिल हो गये हैं ! परिणाम स्वरुप कहावत है “जेसा खाए अन्न वेसा होए मन” वहीं, फ़ल हरी सब्जी ,साग दूध, दालें जैसे भोज्य पदार्थों से दूरी बनती जा रही है। इसका परिणाम ये हो रहा है कि बच्चे कम उम्र में ही मोटापे, रक्तचाप, आखों की कमजोरी,हर्दयाघात और उदर से संबंधित कई रोगों व् सबसे भयानक मधुमेह का शिकार बनते जा रहे हैं। भारतीय बच्चों मे जो भी नैतिकता, व्यवहार कुशलता स्वाभाविक रूप से आती थी, उसके लिये उनकी पारिवारिक संरचना बहुत हद तक जिम्मेदार होती थी। पहले जब सम्मिलित परिवार हुआ करते थे., तो बच्चों में रिश्तो की समझ, बडों का आदर, छोटों को स्नेह, सुख दुख , की एक नैसर्गिक समझ हो जाया करती थी। उनमें परिवार को लेकर एक दायित्व और अपनापन अपने आप विकसित हो जाता था। साथ बैठ कर भोजन, साथ खडे हो पूजा प्रार्थना जो अभी दुर्लभ हो गयी है ! पूजा पाठ का स्थान आज व्हट्स अप , फेसबुक ने ले लिया है ! सभी पर्व त्योहारों मे मिल कर उत्साहित होना, कुल मिला कर जीवन का वो पाठ जिसे लोग दुनियादारी कहते हैं , वो सब सीख और समझ जाया करते थे। आज इस बात पर में मुख्य रूप से चिंता जाहिर करता हु कि आज जहां महानगरों मे मां-बाप दोनो के कामकाजी होने के कारण या पिता सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से दूर भागते हुए रुपयों के पीछे भाग रहा है ! बच्चे दूसरे माध्यमों के सहारे पाले पोसे जा रहे हैं या पथ से भ्रमित हो रहे है , वहीं दूसरे शहरों में भी परिवारों के छोटे हो जाने के कारण बच्चों का दायरा सिमट कर रह गया है । इसके अलावा बच्चों में अनावश्यक रूप से बढता पढाई का बोझ, माता पिता की जरूरत से ज्यादा अपेक्षा, और समाज के नकारात्मक बदलावों के कारण भी उनका पूरा चरित्र ही बदलता जा रहा है । यदि समय रहेते इसे न समझा और बदला गया तो इसके परिणाम निसंदेह ही समाज व् परिवार के लिये आत्मघाती साबित होंगे।
उत्तम जैन विद्रोही
मो- ८४६०७८३४०१

भारतीय युवा भटकाव की राह पर …

भारतीय युवा भटकाव की राह पर ….
आज कल युवा वर्ग जो उच्च मध्यम वर्ग का है जो आज अपनी शिक्षा के बल पर उड़ना चाहता है । उसे परिवार से यही सीखने को मिल रहा है कि चार किताबें पढ़ कर अपने career (भविष्य ) को बनाओ, यह युवा अपनी सारी ऊर्जा केवल अपने स्वार्थ या उज्जवल भविष्य के लिए लगा देता है । आज के युवा वर्ग पर पश्चिम सभ्यता का अत्यधिक प्रभाव है। उनमें अपनी सभ्यता ,संस्कृती और मान्यताओं की कोई अहमियत नहीं रह गई है। युवा वर्ग का गलत रास्तों पर जाना भी पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते परिणाम का ही फल है। भारतीय समाज और युवा वर्ग पर यदि पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव इसी प्रकार बढ़ता रहा तो भारतीय सभ्यता व संस्कृति खतरे में पड़ सकती है। अभिभावको को चाहिए कि यदि वे भारतीय सभ्यता व संस्कृति को जीवंत रखने और सामाज से भ्रुण हत्या, दहेज प्रथा व अनपढ़ता जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए अपनी प्राचीन संस्कृति को ही अपनाएं और अपने बच्चों को भी इससे अवगत कराए ताकि युवा वर्ग को सही दिशा मिल सके। पति-पत्नी दोनों पढ़े-लिखे होने के कारण नौकरी करना चाहते हैं और करते भी हैं जिसके कारण उनके पास समय नहीं होता की वे अपने बच्चो की पढाई पर पूरा ध्यान दे सकें। अपने बच्चो की पढाई के प्रति उदासीनता भी बच्चो को गलत राह पर ले जाती है। युवाओं में भटकाव के पीछे एकल परिवार भी महत्वपूर्ण कारक है। परिवार के नाम पर पति-पत्नी और बच्चे उनकी सोच-समझ अपने तक ही सीमित रहती है। आखिर परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला है।

यदि कभी भूले भटके उसका विचार देश या समाज की तरफ जाने लगता है तो घर परिवार और समाज उसे सब भूल कर अपने भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर कर देता है । यह वर्ग भी अपने आप को देश और समाज से अलग ही अनुभव या यूं कहें की अपने आपको को समाज से श्रेष्ठ समझने लगता है और सामाजिक विषमता का होना उसके अहम को पुष्ट करता है ।ओर कभी आज के युवा हताशा में गलत कदम उठा लेते है ! युवा वर्ग की हताशा देश का दुर्भाग्य है क्योंकि न तो इस वर्ग मे हम उत्साह भर सके न ही समाज के प्रति संवेदनशीलता । एक प्रकार से यह वर्ग विद्रोही हो जाता है समाज के प्रति, परिवार के प्रति और अंत में राष्ट्र के प्रति । क्या हमने सोचा है कि ऐसा क्यों हो रहा है मुझे लगता है इसके पीछे कई वजह है , आज दुनिया भौतिकता वादी हो गयी है और लोगो की जरूरते उनकी हद से बाहर निकल रही है इसलिए उनके अंदर तनाव और फ़्रस्ट्रेशन बढ़ता जाता है , दूसरी बात पहले सयुंक्त परिवार थे तो अपनी कठिनाइया और तनाव घर में किसी ना किसी सदस्य के साथ बातचीत कर कम कर लेते थे घर में अगर कोई अकस्मात दुर्घटना हो जाती थी तो परिवार के बीच बच्चे बड़े हो जाते थे लेकिन आज न्यूक्लिअर फैमिली हो गयी है व्यक्ति को यही समझ में नहीं आता कि अपने दुःख-दर्द किसके साथ बांटे, पुरानी कहावत है कि पैर उतने ही पसारो जितनी बड़ी चादर हो लेकिन आज दूसरो की बराबरी करने के चक्कर में हम कर्ज लेकर भी अपनी हैसियत बढ़ाने की कोशिश करते है, आज के युवा वर्ग में जोश तो है पर आज के युवा को बहुत जल्दी बहुत सारा चाहिए और वो सब हासिल ना कर पाने पर डिप्रेशन में चले जाते है मेरा तो यही मानना है कि विपरीत समय और ख़राब हालात हमें जितना सिखाते है उतना हम अच्छे समय में नहीं सीख पाते इसलिए विपरीत समय को हमेशा ख़राब नहीं मानना चाहिए बल्कि विपरीत परिस्थितियों में हमें धैर्य रखना चाहिए और अच्छे समय का इंतज़ार करना चाहिए क्योंकि जिंदगी में अगर अँधेरा आया है तो उजाला भी आएगा अगर रात हुयी है तो सुबह भी होगी …..उत्तम जैन (विद्रोही)

एक और आपतिजनक बयान मुस्लिम नेता का उमा भारती के लिए

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ दिये गये आपत्तिजनक बयान का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि एक अन्य मुस्लिम नेता ने साध्वी उमा भारती को ‘‘नागिन’’ कहकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। ललितपुर में हाजियों के सम्मान में आज यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के झांसी जिला महासचिव मिर्जा करामत बेग ने भारती को नागिन बताते हुए उनका फन कुचल देने का आह्वान किया। इस मौके पर झांसी लोकसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार डा0 चन्द्रपाल यादव भी मौजूद थे।

भारती भी झांसी क्षेत्र से ही भाजपा की उम्मीदवार हैं। इस कार्यक्रम को जिला मुस्लिम एसोसिएशन ने हाजियों के सम्मान में आयोजित किया था। कार्यक्रम में मिर्जा करामत बेग ने कहा..यह वही उमा भारती है जिसने वर्ष 1992 में नारा दिया था कि ‘‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो।’’ यही नागिन झांसी, ललितपुर के नौजवानों को फिर डसने आ गई है। 30 अप्रैल को मतदान के दिन समाजवादी पार्टी को वोट देकर इस नागिन का फन कुचल दो। इस विवादित बयान का वहां मौजूद यादव ने कोई विरोध नहीं किया। यादव जो कि सपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी हैं।

इस संबंध में जिला मुस्लिम एसोसिएशन के अध्यक्ष असलम कुरैशी ने यूनीवार्ता से कहा कि इस कार्यक्रम की जिला प्रशासन से अनुमति ली गयी थी। इस बारे में ललितपुर की जिलाधिकारी चैत्रा वी ने यूनीवार्ता संवाददाता से कहा कि यह मामला प्रशासन के संज्ञान में है और मामले की जांच कराकर संबंधित लोगों पर उचित कार्रवाई की जायेगी। इस बीच भाजपा ने इस आपत्तिजनक बयान की कडी निंदा करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

आम आदमी पार्टी ने सीनियर लीडर अरुणा सिंह व् अशोक कुमार को पार्टी से निकला

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने करप्शन के आरोपों के बाद सीनियर लीडर अरुणा सिंह और अशोक कुमार को पार्टी से निकाल दिया है ,
केजरीवाल ने कहा कि पैसे लेकर टिकट दिलवाने की शिकायत सही पाने पर आप के दो नेताओं की छुट्टी कर दी गई है।

केजरीवाल ने माना कि पार्टी को ऐसी शिकायतें मिली हैं कि कुछ लोग पैसे लेकर टिकट दिलवाने का खेल खेल रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसी शिकायतों की जांच के बाद पार्टी ने अवध रेंज की संयोजक अरुणा सिंह और हरदोई के कोषाध्यक्ष को पार्टी से निकाल दिया है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राखी बिलड़ा को लेकर महेंद्र सिंह के आरोप में सच्चाई नहीं है। आपको बता दें कि महेंद्र सिंह ने आप का टिकट कटने के बाद आरोप लगाया था कि राखी ने उनसे प्रचार के लिए सात लाख रुपये की मांग की थी। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की नॉर्थ वेस्ट सीट से पहले महेंद्र सिंह को टिकट दिया था। एक सवाल के जवाब में केजरीवाल ने कहा कि अभी वडोदरा सीट से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार तय नहीं हुआ है।  वडोदरा वही सीट पर जहां से बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी मैदान में हैं।

ब्राजीलिया …महिला के साथ पोलिस की हेवानियत

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पुलिस के निर्दयी स्लूक के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन इस बात का ठोस प्रमाण आपको इस घटना को देख कर मिल जाएगा।

डेली मेल के अनुसार, मामला ब्राजील का है। चार बच्चों की 38 वर्षीय मां क्लॉडिया सिल्वा फरेरिया रोज की तरह उस दिन भी बेकरी से ब्रेड लेने जा रही थी। बीच रास्ते में जाते ही क्लॉडिया ने देखा कि पुलिस और एक गुट में फायरिंग चल रही है। तभी उसने बचने के लिए किसी कोने में छिपने की कोशिश की, लेकिन इससे पहले वह छिपती वह गुट के नजदीक आ गई। पुलिस और गुट के बीच चल रही खूनी झड़प में क्लॉडिया को गोली लग गई।

क्लॉडिया ने गोली लगते ही वहीं दम तोड़ दिया। इसके बाद गुट वहां से फरार हो गया। इसके बाद पुलिस क्लॉडिया के मृत शरीर को अमानवीय ढंग से रस्सी से बांधकर गाड़ी के पीछे लादकर और घसीटते हुए वहां से ले गए।

एक म‌हिला के सा‌थ ऐसा करने के लिए उस गाड़ी में मौजूद तीन अफसरों को गिरफ्तार कर लिया गया है। हांलाकि महिला के बेटे ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसकी मां गोली लगने के बाद भी जिंदा थी और पुलिस अफसरों के बुरी तरह घसीटने के बाद ही उसकी मां ने दम तोड़ा है। उत्तम विद्रोही

चिदम्बरम …

शिवगंगा (तमिलनाडु)। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नरेन्द्र मोदी पर ‘दोबारा मतगणना’ से जुड़ी अपनी आलोचना के लिए पलटवार करते हुए

आज कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मुद्दे पर तथ्यों के साथ ‘फर्जी मुठभेड़’ किया है और 2009 लोकसभा चुनाव में यहां उनके निर्वाचन क्षेत्र में कभी भी पुनर्मतगणना नहीं हुई।

चिदंबरम ने यहां दिए गए अपने एक बयान में कहा कि मोदी ने कल रात चेन्नई के पास अपनी जनसभा में एक बार फिर तथ्यों के साथ ‘फर्जी मुठभेड़’ किया जब उन्होंने उन्हें ‘रिकाउंट मिनिस्टर’ पुनर्मतगणना कराने वाला मंत्री कहा।

वित्त मंत्री ने कहा, ”सच्चाई यह है कि 2009 के चुनावों में शिवगंगा संसदीय क्षेत्र में मतों की केवल एक बार गणना हुई। दूसरी बार कोई मतगणना नहीं हुई। असल

में, हारे उम्मीदवार की शिकायत यह थी कि पुनर्मतगणना कराने की उसकी बाद में की गयी मांग को निर्वाचन अधिकारी ने नामंजूर कर दिया था।”

उन्होंने कहा, ”:मोदी को छोड़कर: हर कोई इससे वाकिफ है। मुझे पूरी उम्मीद है कि वह तथ्यों के साथ और फर्जी मुठभेड़ कर लोगों का मनोरंजन करेंगे।”

चिदंबरम बार बार ‘फर्जी मुठभेड़’ शब्द का इस्तेमाल कर स्पष्ट रूप से मोदी के पर ताना मार रहे हैं क्योंकि गुजरात में मोदी के कार्यकाल में संदिग्ध आतंकवादियों को खत्म करने के लिए कई कथित फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम दिया गया और इनसे कई विवाद उपजे।

वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था को संभालने और इसकी वर्तमान हालत को लेकर मोदी द्वारा अपनी आलोचना को लेकर कल तथ्यों और आंकड़ों के साथ एक विस्तृत बयान जारी करने की योजना बना रहे हैं।

14 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार …बिहार

बिहार में औरंगाबाद जिले के देव थाना क्षेत्र के पचौखर गांव में कल रात 14 वर्षीय एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म का एक मामला प्रकाश में आया है। पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि पचौखर गांव की 14 वर्षीय लड़की कल रात शौच के लिए गई थी तभी चार लोग उसे उठाकर सुनसान स्थान पर ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया।

लड़की को गंभीर स्थिति में औरंगाबाद सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों ने बताया कि पीड़िता के बयान पर संबंधित थाना में गांव के ही मिथिलेश पासवान और जय प्रकाश पासवान के अलावा दो अज्ञात दुष्कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। घटना के बाद से सभी आरोपी फरार हैं जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है।